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हथियाखेड़ा: 75 सालों से सड़क के लिए तरस रहा है मध्यप्रदेश का यह गांव

12:39 PM Mar 02, 2023 IST | pallavvjain
हथियाखेड़ा  75 सालों से सड़क के लिए तरस रहा है मध्यप्रदेश का यह गांव

मध्यप्रदेश में इस वर्ष नवंबर में चुनाव होना है। सत्ताधारी पार्टी भाजपा हर गांव-शहर में विकास यात्रा निकाल रही है। विधायक अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर जो काम किये वो गिनवा रहे हैं और जो नहीं हुए उन्हें पूरा करने का वादा कर रहे हैं। सीहोर जिले की श्यामपुर तहसील के अंतर्गत आने वाली हथियाखेड़ा ग्राम पंचायत में 4 ऐसे गांव हैं जहां आज़ादी के 75 साल बाद भी सड़क, बिजली, पानी, आवास और गैस जैसी मूलभूत चीज़ें मौजूद नहीं है। खास बात यह है कि ये गांव राज्य की राजधानी भोपाल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर से चंद किलोमीटर ही दूर है।

Video Report from Hathiya Kheda Village

जब सीहोर के मौजूदा भाजपा विधायक सुदेश राय अपनी विकासयात्रा लेकर हथियाखेड़ा पहुंचे तो वो इस पंचायत के अंतर्गत आने वाले बुगलीवाली,चोर इमली,भट्टा और चित्रावली गए बिना ही लौट आए, क्योंकि इन गांवों में चार पहिये की गांड़ी जा ही नहीं सकती। बुगलीवाली, चोर इमली, चित्रा, भट्टा जैसे गांवों को ग्राम पंचायत हथियाखेड़ा से जोड़ने के लिए सड़क मौजूद नहीं है। इन गांवों में कुल 300 के करीब घर हैं, बारिश के चार महीने यह गांव सड़क न होने की वजह से बाहरी दुनिया से पूरी तरह कट जाता है।

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ग्राउंड रिपोर्ट की टीम जब इन गांवों में पहुंची तो लोगों के हालात देखकर दंग रह गई, गांव में पहुंचने को सड़क ही नहीं थी, मिट्टी-गोबर से बने कच्चे मकानों में लोग दयनीय स्थित में रह रहे हैं। पीने को पानी नहीं है, खाना आज भी चूल्हे पर ही बन रहा है, घरों में शौचालय भी नहीं है, जहां नज़र दौड़ाई जाए वहां केवल गरीबी और बदहाली के निशान मौजूद हैं। देखकर आंखों को यकीन नहीं होता कि ये कैसे मुमकिन है? हमने तो सुना था कि 100 फीसदी घरों में बिजली है, 90 फीसदी घरों में गैस चूल्हा है, सबके सर पर पक्की छत है, तो यहां क्यों नहीं है?

इस बात का जवाब गांव वालों के पास भी नहीं है, चित्रावली के मासूम रज़ा बताते हैं कि उनके पूर्वज नवाबों के समय से यहां रह रहे हैं, यह ज़मीन फॉरेस्ट विभाग की है। हमारा यहां कई 100 सालों से कब्ज़ा है। आस पास के और भी कई गांव ऐसे ही हैं जो फॉरेस्ट रेंज की ज़मीन पर हैं, लेकिन वहां विकास की सभी परियोजनाएं पहुंची हैं, केवल हमारे ही इन चार गांवों को नज़र अंदाज़ किया गया है। हम इतनी बुरी स्थिति में जीने को मजबूर हैं जिसे बयां करना आसान नहीं है।

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बुगलीवाली के सईद कहते हैं कि गांव में सड़क नहीं है, अस्पताल यहां से 10-12 किलोमीटर दूर है। एंबुलेंस यहां तक नहीं आती ऐसे में गंभीर रुप से बीमार मरीज़ और डिलीवरी के समय महिलाओं को खाट पर रख कर पक्की सड़क तक ले जाना पड़ता है। मोटरसाईकिल से गंभीर रुप से बीमार मरीज़ को ले जाना जोखिम भरा होता है। एंबुलेंस वाले यहां तक नहीं आते। अगर पक्की सड़क होती तो यह परेशानी नहीं होती।

रोशन बी बताती हैं कि जब उनकी डिलीवरी होने वाली थी तो खाट पर रख कर उन्हें अस्पताल ले जा रहे थे। देर हो जाने की वजह से बीच जंगल में ही उन्हें बच्चा हो गया। जब बच्चा हुआ तो उसकी आंख में लकड़ी चली गई जिससे उसकी एक आंख खराब हो गई।

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ज़ैनब बताती हैं कि उनकी बहु की डिलीवरी के दौरान मौत हो गई। एंबुलेंस यहां तक आती तो शायद वो बच जाती, उसके दो छोटे-छोटे बच्चे हैं।

मासूम रज़ा कहते हैं कि सड़क बन जाने से कई मुश्किलें हल हो जाएंगी। गांव में लोग बेहद बुरे हालातों में ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं। जिस सड़क पर आप गर्मी में नहीं चल सकते है, तो आप अंदाज़ा लगाईये की बारिश के समय वो सड़क कैसी होती होगी। नेता चुनाव के समय वोट मांगने तो आते हैं लेकिन उसके बाद कभी मुंह तक नहीं दिखाते।

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जब इन गांवों के खबर मीडिया में दिखाई गई तो जिले के कलेक्टर ने जल्द इन गांवों की समस्या हल करने का आश्वासन दिया है, गांव वालों के मुताबिक कुछ अधिकारी स्थित जानने पहुंचे भी थे। लेकिन कब तक उनकी समस्या हल होगी इसके बारे में नहीं बताया गया है।

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Pallav Jain

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Pallav Jain is co-founder of Ground Report and an independent journalist and visual storyteller based in Madhya Pradesh. He did his PG Diploma in Radio and TV journalism from IIMC 2015-16.

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