For the best experience, open
https://m.groundreport.in
on your mobile browser.
Advertisement

कार्बन बाज़ारों के विकास के लिए उन्हें समझना ज़रुरी: विशेषज्ञ

07:04 PM Feb 24, 2023 IST | Ground report
कार्बन बाज़ारों के विकास के लिए उन्हें समझना ज़रुरी   विशेषज्ञ

Climate Kahani | दुनिया में कार्बन बाजार पिछले करीब दो दशकों से मौजूद हैं और इनके उभार का सिलसिला अब भी जारी है। भारत के घरेलू कार्बन मार्केट की दिशा में हुए हाल के नीतिगत घटनाक्रमों को देखते हुए कारोबार जगत में इस बात को लेकर दिलचस्पी बढ़ी है कि इन घटनाक्रमों का उनके कार्य संचालन पर क्या असर पड़ेगा। ऑफसेट्स मार्केट से प्रदूषणकारी तत्वों के उत्सर्जन में कमी लाने पर सवाल उठने की हाल की खबरों के बीच उत्सर्जन कटौतियों को लेकर जन जागरूकता और समीक्षा की और भी ज्यादा जरूरत है क्योंकि इनकी वजह से वैश्विक जलवायु लक्ष्य हासिल करने की हमारी क्षमता पर असर पड़ेगा।

वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई इंडिया) ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर आज एक वेबिनार आयोजित किया। इसका उद्देश्य कार्बन बाजारों के परिदृश्य की एक त्वरित समीक्षा करना और इस बात पर एक विमर्श तैयार करना था कि भारत और इस देश के हित धारकों के लिए इसके क्या मायने हैं।

Advertisement

वेबिनार में विशेषज्ञों ने कार्बन बाजार से जुड़े कई अनुत्‍तरित सवालों का जिक्र करते हुए इन बाजारों की जरूरतों और उनसे जुड़े विभिन्‍न पहलुओं पर अपनी-अपनी राय रखी।

शुभांगी गुप्ता ने कहा कि किसी कार्बन बाजार को सफल होने के लिए एक महत्वाकांक्षी और विश्वसनीय बाजार से जुड़े दीर्घकालिक लक्ष्य और पर्याप्त मांग सृजित होना जरूरी है। इसके अलावा डीकार्बनाइजेशन को तेजी से आगे बढ़ाना होगा। साथ ही प्रतिस्पर्धात्मकता को भी सुरक्षित रखना होगा और प्रतिस्पर्धात्मकता से जुड़ी चिंताओं में कटौती करनी होगी।

Advertisement

उन्होंने कहा कि कार्बन बाजार के अनुपालन के लिए प्रोत्साहन और जुर्माने दोनों की ही व्यवस्था की जानी चाहिए। मांग से प्रोत्साहित बाजार से मार्केट क्लीयरिंग प्राइस में वृद्धि होती है और ट्रेडिंग क्षमता में बढ़ोत्‍तरी से कारोबार का आकार बढ़ता है।

उन्होंने कहा कि कार्बन बाजार को कामयाब बनाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों का व्यापक कवरेज होना जरूरी है। साथ ही साथ लचीलेपन संबंधी प्रणालियों और ट्रेडिंग के विभिन्न चरणों का होना भी आवश्यक है। इसके अलावा क्षमता निर्माण भी एक अहम पहलू है।

Advertisement

शुभांगी ने इस सिलसिले में किए गए एक अध्ययन के निष्कर्षों का जिक्र करते हुए कहा कि अगर घरेलू ऑफसेट बाजार को अच्छे तरीके से डिजाइन किया जाए तो यह प्रदूषणकारी तत्वों के उत्सर्जन में कमी लाने की लागतों में कटौती करने और एमएसएमई क्षेत्र को प्रोत्साहित करने तथा डीकार्बनाइजेशन की प्रक्रिया के वित्त पोषण के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम साबित हो सकता है।

उन्‍होंने जलवायु परिवर्तन के बढ़ते संकट के मद्देनजर कार्बन बाजारों की जरूरत का जिक्र करते हुए कहा कि कार्बन मार्केट प्रदूषणकारी तत्वों के उत्सर्जन में अनुमानित कमी लाने में मदद करते हैं। साथ ही साथ इस कटौती की कुल कीमत में भी कमी लाते हैं।

Advertisement

शुभांगी ने कहा कि कार्बन बाजार संदर्भ वैशेषिक आवश्यकताओं को पूरा करने और स्थायित्व लाने के लिए रूपरेखा में लचीलापन लाते हैं। इन विशेषताओं की वजह से यह बाजार राजनीतिक रूप से कार्बन कर के मुकाबले ज्यादा आसान है।

उन्‍होंने कार्बन बाजारों की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि यह बाजार उत्सर्जन में कमी लाने वाली गतिविधियों से कार्बन ऋण की आपूर्ति को आसान बनाते हैं। इस बाजार के लिए मांगें सरकारों अथवा उन इकाइयों से प्राप्त होती है जिनके लिए अपने उत्सर्जन को खत्म करना एक कानूनी बाध्यता हो। इसके अलावा निजी कंपनियां या व्यक्तिगत इकाइयां भी कार्बन बाजार के लिए मांग उत्पन्न कर सकती हैं जो स्वैच्छिक रूप से कार्बन ऋण खरीदना चाहती हैं।

अश्विनी हिंगने ने कहा कि हमने अपने अध्ययनों में भी पाया है कि निवेश के चक्र काफी लंबे हैं और उनके दीर्घकालिक लक्ष्य हैं। कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब अभी नहीं मिले हैं। उदाहरण के तौर पर कार्बन न्यूनीकरण का वह कौन सा स्तर है जो भारत के एक कार्बन मार्केट में प्राप्त करने लायक हैं। दूसरा सवाल यह है कि नियामक प्राधिकरण ने इसके लिए कौन सी अवधि निर्धारित की है। जब हम कंपनियों के सामने अपनी बात रखते हैं तो यह सवाल उठते हैं।

उन्‍होंने कहा कि इसके अलावा एक बड़ा सवाल यह भी है कि जब एमिशन रिडक्शन प्रोजेक्ट की बात हो तो निवेशक अपनी पूंजी कहां पर लगाए और विभिन्न बाजारों से इस तरह की मांग उत्पन्न होगी अगर हम मौजूदा बाजार को देखें तो वॉलंटरी मार्केट प्राइस और कंप्लायंस मार्केट प्राइस के बीच लगभग 8 गुने का अंतर है। इसके अलावा निवेशकों के पास भारत ही नहीं बल्कि दुनिया में एमिशन रिडक्शन प्रोजेक्ट में निवेश करने के लिए क्या प्रोत्साहन है। यह कुछ ऐसे सवाल हैं जिन पर चर्चा जारी रहेगी, लेकिन साथ ही साथ यह एक ऐसा अवसर भी है जहां बाजार की डिजाइन पर्याप्त मांग के साथ-साथ विश्वसनीयता भी उत्पन्न कर सकती है क्योंकि कार्बन मार्केट पहले से ही समीक्षा के दायरे में हैं।

Keep Reading

Follow Ground Report for Climate Change and Under-Reported issues in India. Connect with us on FacebookTwitterKoo AppInstagramWhatsapp and YouTube. Write us on GReport2018@gmail.com.

Tags :
Author Image

Ground report

View all posts

Advertisement
Donate us for good journalism
Advertisement
×

We use cookies to enhance your browsing experience, serve relevant ads or content, and analyze our traffic.By continuing to visit this website, you agree to our use of cookies.

Climate Glossary Climate Glossary Video Reports Video Reports Google News Google News