राजस्थान में वनकर्मियों की हड़ताल, पर्यटकों को हो रही परेशानी
राजस्थान में वन विभाग के कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। इसकी वजह से राज्य के वाईल्ड लाईफ सैंक्चुरी में काम काज बंद पड़ा है। जो भी टूरिस्ट्स सैर के लिए जा रहे हैं उन्हें मायूस ही लौटना पड़ रहा है।
वन विभाग के फ्रंट लाईन वर्कर्स संयुक्त संघर्ष समिति वन विभाग राजस्थान के बैनर तले अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं।
क्या है वनकर्मियों की मांगें?
- दूसरे विभागों की तरह ही वन विभाग में भी हो। पुलिस, पटवारी, ग्राम सेवक के समान वेतन दिया जाए।
- दसवीं आठवी पास वनकर्मियों को वन रक्षक के पद पर समायोजित किया जाए।
- सेल्फ डिफेंस के लिए हथियार दिए जाएं।
- जंगल में कार्य करने के दौरान मैस भत्ता 2200 रुपए हो।
- वर्किंग आवर का तय किया जाए।
- पैट्रोल के लिए 2 हज़ार रुपए का भत्ता।
- अन्य विभागों की तरह पदोन्नती, नए पद और पदनाम की व्यवस्था हो।
- अवैध शिकार, खनन, अतिक्रमण और हिंसक वन्य जीवों से डील करने वाले वनकर्मियों को विशेष भत्ता दिया जाए।
- वर्दी भत्ता 7 हज़ार रुपए
- विभागी अधिकारी और कर्मचारियों को अभ्यारण और नैशनल पार्कों में निःशुल्क प्रवेश की व्यवस्था हो।
- विभागीय कर्मचारियों को विश्रामग्रहों में रुकने की व्यवस्था हो।
- इन सभी मांगों पर वन विभाग के कर्मचारी लिखित में आश्वासन चाहते हैं।
राज्य के झालाना लेपर्ड रिज़र्व, सरिस्का और रणथंबोर नैशनल पार्क में वनकर्मियों ने प्रोटेस्ट किया। कई जगह टूरिस्ट्स को एंट्री नहीं दी गई। सफारी के लिए आए पर्यटकों को मायूस हो कर लौटना पड़ा।
झलाना लेपर्ड रिज़र्व घूमने आए टूरिस्ट अभिनव कुमार ने टाईम्स ऑफ इंडिया को बताया कि वो बैंग्लोर से यहां आए थे घूमने, अब उन्हें नहीं पता कि वो कब दोबारा राजस्थान आएंगे। यह काफी निराश करने वाला एक्सपीरियेंस है ।
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