सांची को सोलर सिटी बनाने का काम बेहद धीमा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हैरिटेज टाउन सांची को मई 2023 तक पूरी तरह सौर्य ऊर्जा पर संचालित शहर (Sanchi Solar City) बनाने का वादा किया है। लेकिन जब ग्राउंड रिपोर्ट की टीम पहुंची तो शहर में सोलर सिटी के पोस्टर के अलावा कोई काम होता नहीं दिखाई दिया। हालांकि विद्युत विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हम समय पर लक्ष्य पूरा कर लेंगे।
क्या है प्लान?
सांची को मई 2023 तक पूरे शहर की बिजली आपूर्ती सोर्य ऊर्जा के माध्यम से करनी है। 10 हज़ार की जनसंख्या वाले इस शहर को हर दिन 2 मेगावॉट बिजली की ज़रुरत होती है। मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम यहां पर 8 मेगावॉट का सोलर प्लांट लगाने की तैयारी कर रहा है, जो सीदे सांची पावर ग्रिड से कनेक्ट होगी।
साथ ही बौद्ध स्तूप की वजह से पहचाने जाने वाले सांची शहर की बाकी ज़रुरतें भी अक्षय ऊर्जा पर आधारित होंगी, जैसे सोलर स्ट्रीट लाईट्स, गार्डन लाईट्स, स्टड लाईट, हाई मास्ट लाईट, सोलर ड्रिंकिंग वॉटर कियोस्क, बैटरी से चलने वाले रिक्शा और पब्लिक ट्रांस्पोर्ट और चार्जिंग स्टेशन शहर में शुरु किये जाने हैं।


वादों पर गौर करें तो सांची में विंड टर्बाईन और Piezo Electric Generators भी लगाए जाने हैं, जिससे सड़क पर चलने से बिजली पैदा होगी।
लेकिन यह सब करने के लिए प्रशासन के पास केवल 2 महीने का समय बाकि है, और काम की रफ्तार बेहद सुस्त है।
गुजरात के मोढेरा जैसी सोलर सिटी नहीं होगी सांची
गुजरात की मोढेरा देश की पहली सोलर सिटी है यहां 24 घंटे बिजली सप्लाई सोलर एनर्जी से होती है, मोढेरा को सोलर सिटी इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि यहां 1300 बिल्डिंग्स में रुफटॉप सोलर सिस्टम इंस्टॉल किए गए हैं। जब्कि सांची में लोग सोलर सिस्टम (Sanchi Solar City) लगवाने में लोग रुची नहीं दिखा रहे हैं। इसलिए यहां एक 8 मेगावॉट का इंटीग्रेटेड सोलर प्लांट पूरे शहर में बिजली सप्लाई करेगा।
मोढेरा में न सिर्फ लोग ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर हुए हैं बल्कि वो सरप्लस बिजली सरकार को बेचकर पैसे भी कमा करे हैं।
सांची में अभी तक केवल तीन घरों में ही रुफटॉप सोलर सिस्टम लगा है। विद्युत विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सोलर सिस्टम 30 फीसदी सब्सिडी के बाद भी लोगों के लिए महंगा है। यहां लोग गरीब हैं, उनकी इतनी आय नहीं है कि 70 हज़ार रुपए खर्च कर सकें।


रुफटॉप सोलर सिस्टम लगाने का खर्च
- एक घर के लिए कम से कम 1 किलोवॉट कैपेसिटी के रुफटॉप सोलर प्लांट की ज़रुरत होती है। इसकी कीमत 1 लाख रुपए तक होती है।
- सरकार इसपर 30 फीसदी सब्सिडी प्रदान करती है। जिसके बाद यह करीब 70 हज़ार रुपए का पड़ता है।
भारत में लोगों के पास इतनी आय नहीं है कि वो एक मुश्त 70 हज़ार रुपए जमा करवा सकें।
सांची में अब तक कितना काम हुआ है?
विद्युत अधिकारियों के मुताबिक 8 मैगावॉट के प्लांट के लिए ज़मीन निर्धारित हुई है, जल्द वहां प्लांट का काम शुरु हो जाएगा। सोलर पैनल लगाने में ज्यादा समय नहीं लगता है इसलिए उम्मीद की जा रही है कि समय पर शहर को सोलर ग्रिड से जोड़ दिया जाएगा।
शहर में जगह जगह पोस्टर और कैंपेन (Sanchi Solar City) के माध्यम से सोलर पैनल लगवाने के लिए जागरुक किया जा रहा है,लेकिन लोग ज्यााद रुची नहीं ले रहे हैं। इसमें मुख्य अड़चन सोलर पैनल का महंगा होना है।
अगर घरों को छोड़ भी दें तो शहर में सरकारी बिल्डिंग और होटलों पर भी अभी तक रुफटॉप सोलन पैनल नहीं लगे हैं। यह सारा काम एक प्राईवेट एजेंसी के ज़रिए सरकार करवा रही है।
सांची सौर्य ऊर्जा (Sanchi Solar City) से चलने वाला शहर तो बन जाएगा, लेकिन यह गुजरात के मोढेरा की तरह नहीं होगी जहां लोगों ने भी भागीदारी दी थी।
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