मणिपुर में सीएम के घर पर हमले की कोशिश, राज्य में तनाव बरक़रार
मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. जुलाई से लापता 2 मैतेई छात्रों की तस्वीर वायरल होने के बाद हिंसा फिर से भड़क उठी है. गुरुवार रात को कुछ उपद्रवियों ने सीएम एन बीरेन सिंह के निजी आवास पर हमले (N Biren Singh house attacked) कि कोशिश की. हालाँकि सुरक्षा बालों द्वारा उपद्रवियों को घर के पास पहुँचने से पहले ही रोक दिया गया. पुलिस ने आँसू गैस के गोले दाग कर उपद्रवियों को तितर-बितर कर दिया है.
मैतेई छात्रों कि मौत का मामला
मणिपुर में इंटरनेट सेवा बहाल हुए केवल एक ही हफ्ता बीता है. बीते 23 सितम्बर को सीएम ने मीडिया को संबोधित करते हुए इंटरनेट पर लगे बैन को ख़त्म करने की घोषणा की थी. इसके बाद 2 कथित मैतेई छात्रों की लाशों की तस्वीर इंटरनेट पर तेज़ी से वायरल होने लगी. आधिकारिक बयान के अनुसार फ़िजाम हेमजीत (Phijam Hemjit) और हिजाम लिंथोइनगाम्बी (Hijam Linthoingambi) जिनकी उम्र क्रमशः 20 और 17 वर्ष बताई जा रही है, जुलाई से लापता थे. “राज्य के सन्दर्भ में यह बात आई है कि इनकी तस्वीर सोशल मीडिया में तेज़ी से वायरल हो रही है. यहाँ इस बात का ज़िक्र करना आवश्यक है कि यह केस सीबीआई को पहले ही ट्रांसफर किया जा चुका है.” इस बयान में यह भी कहा गया है कि राज्य की पुलिस केन्द्रीय एजेंसी के साथ मिलकर दोषियों को पकड़ने और जल्द से जल्द गिरफ्तार करने का प्रयास कर रही है.
मणिपुर में फैलता आफ्सपा
मीडिया की ख़बरों की माने तो मई में शुरू हुई हिंसा के चलते राज्य में अब तक 175 मौतें हो चुकी हैं. यह इस राज्य में हुई मौत का सबसे बड़ा आँकड़ा है. यह आँकड़े बताते हैं कि भारत के इस पूर्वोत्तर राज्य में कुछ भी सही नही चल रहा है. हिंसा की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए राज्य सरकार ने बुधवार को इम्फाल वैली के 19 पुलिस थानों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र को छोड़कर सम्पूर्ण वैली में आफ्सपा को अगले 6 महीने तक बढ़ा दिया है. राज्य द्वारा इस पूरे इलाके को आफ्सपा (AFSPA) के तहत परिभाषित ‘डिस्टर्ब एरिया’ माना गया है. आफ्सपा को विस्तार देने का यह आदेश 1 अक्टूबर से प्रभावी होगा.
हालाँकि मणिपुर के लिए आफ्सपा का यूँ प्रभावी होना कोई नई बात नहीं है. यहाँ साल 1980 के बाद से ही आफ्सपा प्रभावी रहा है. हालाँकि 1 अप्रैल 2023 को 19 पुलिस थानों से आफ्सपा हटा दिया गया था. केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार 6 महीने बाद राज्य के लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति का पुनः आकलन किया जाएगा जिसके बाद आफ्सपा के हटाने पर निर्णय लिया जाएगा.
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