For the best experience, open
https://m.groundreport.in
on your mobile browser.
Advertisement

अडानी समूह के कटपल्ली पोर्ट प्रोजेक्ट का क्लाईमेट एक्टिविस्ट क्यों कर रहे हैं विरोध?

12:57 AM Aug 20, 2023 IST | Pallav Jain
अडानी समूह के कटपल्ली पोर्ट प्रोजेक्ट का क्लाईमेट एक्टिविस्ट क्यों कर रहे हैं विरोध

तमिलनाडू में चेन्नई से 54 किलोमीटर उत्तर की ओर पलिकट में स्थित 330 एकड़ के कटपल्ली पोर्ट को अडानी समूह अब 6 हज़ार 111 एकड़ तक एक्सपैंड करने जा रहा है। यह प्रोजेक्ट अडानी पोर्ट्स की सब्सिडियरी मरीन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्राईवेट लिमिटेड और स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड कंपनी के 53,400 करोड़ रुपए के मास्टरप्लान का हिस्सा है जिसके तहत पलीकट में पोर्ट, हार्बर, उससे संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर और इंडस्ट्री डेवलप की जानी है।

पलीकट के निवासी अडानी समूह के इस हार्बर और पोर्ट प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उनका मानना है कि पोर्ट का और ज्यादा विस्तार न सिर्फ उनकी रोज़ी रोटी छीन लेगा बल्कि उन्हें अपनी ही ज़मीन पर रिफ्यूजी बना देगा।

Advertisement

द न्यूज़ मिनट के अनुसार पलीकट का मरीन इकोसिस्टम प्रभावित हुआ तो इससे करीब 1 लाख लोगों की जीविका संकट में पड़ सकती है। क्षेत्र की 300 फिशरवुमन इससे बुरी तरह प्रभावित होंगी।

पोर्ट के पक्ष में क्या हैं तर्क?

  • कटपल्ली पोर्ट एक्सपैंशन के पीछे जो तर्क दिया जा रहा है वो यह है कि इससे तमिलनाडू को एक ऐसा पोर्ट मिल जाएगा जहां मल्टीपर्पस कार्गो हैंडलिंग संभव होगी। अगले 20 सालों में यहां 4,500 लोगों को इंडायरेक्ट रोज़गार मिलेगा।
  • कोस्ट इरोशन को रोकने के लिए कंट्रोल मेशर लागू किये जाएंगे। और मछलीपालन के लिए आर्टिफिशियल लेक्स का निर्माण किया जाएगा, जिससे कि मछुआरों का जीवन प्रभावित नहीं होगा।

गैरज़रुरी प्रोजेक्ट?

अडानी समूह मौजूदा कटपल्ली पोर्ट का विस्तार कर इसकी कार्गो हैंडलिंग कैपेसिटी 24.65 मिलियन टन पर एनम से बढ़ाकर 320 मिलियन टन पर एनम करना चाहता है, जो तमिलनाडू के सभी पोर्ट्स की कंबाईन कैपेसिटी 275 मिलियन टन पर एनम से भी ज्यादा होगी। क्लाईमेट एक्शन ग्रुप की बेनिशा जो इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रही हैं वो कहती हैं कि

Advertisement

"यह प्रोजेक्ट गैरज़रुरी है क्योंकि शिपिंग मिनिस्ट्री के आंकड़े खुद कहते हैं कि तमिलनाडू के मौजूदा पोर्ट्स अपनी क्षमता से 55 फीसदी कम कार्गो हैंडल कर रहे हैं। ऐसें में एक मेगा पोर्ट बनाने की क्या ज़रुरत है जो बड़े पैमाने पर यहां की इकोलॉजी को नुकसान पहुंचाएगा?"

राजनीतिक विरोध

ग्राउंड रिपोर्ट से बातचीत में बेनिशा आगे कहती हैं कि "वर्ष 2020 में कटपल्ली पोर्ट प्रोजेक्ट पर तमिलनाडू पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने 22 जनवरी 2021 में पब्लिक हीयरिंग कराने का ऐलान किया था जिसके बाद स्थानीय लोगों, पर्यावरणविद और राजनीतिक पार्टियों ने इसका जमकर विरोध किया था। तब विपक्ष में रही एमके स्टालिन की पार्टी डीएमके ने भी वादा किया था कि अगर वो सत्ता में आए तो इस प्रोजेक्ट को आगे नहीं बढ़ने देंगे। इसीलिए हम 7-8 यूथ ग्रुप्स के साथ मिलकर डीएमके सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि वो पलीकट सैंक्चुरी के 10 किलोमीटर के दायरे को इको सेंसिटिव ज़ोन घोषित कर दें। इससे यह प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाएगा।"

Advertisement

राज्य सरकार से क्या है मांग?

18 अगस्त को सोशल मीडिया के ज़रिए कई नागरिकों और एक्टिविस्ट्स ने तमिलनाडू की डीएमके सरकार को यह याद दिलाया कि उन्होंने अपने मैनिफेस्टो में यह वादा किया था कि वो सत्ता में आने पर कटपल्ली पोर्ट एक्सपैंशन प्रोजेक्ट पर रोक लगाएंगे। पर्यावरणविदों का कहना है कि अगर राज्य सरकार यहां के तट को हाई इरोशन ज़ोन घोषित करदे और पलीकट सैंक्चुरी से 10 किलोमीटर के एरिया को इको सेंसिटिव ज़ोन घोषित करदे तो अडानी पोर्ट्स का यह प्रोजेक्ट अवैध घोषित हो जाएगा।

कानून का उल्लंघन

आपको बता दें कि प्रस्तावित प्रोजेक्ट पलीकट सैक्चुरी से महज़ 2 से 3 किलोमीटर की दूरी पर है। इंवायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट 1986 के मुताबिक किसी भी नैशनल पार्क और सैंक्चुरी के 10 किलोमीटर के दायरे में इको सेंसिटिव ज़ोन घोषित किया जा सकता है। इस एरिया में किसी भी पॉल्यूटिंग इंडस्ट्री को स्थापित करने की इजाज़त नहीं दी जा सकती। पोर्ट इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले रैड कैटेगरी में रखा जाता है, ऐसे में इस प्रोजेक्ट को गैरकानूनी घोषित किया जा सकता है।

कटपल्ली पोर्ट और हार्बर प्रोजेक्ट से पर्यावरण को नुकसान के सवाल पर बेनिशा कहती हैं कि

"यह क्षेत्र पर्यावरण के लिहाज़ से बेहद सेंसिटिव एरिया है। पोर्ट प्रोजेक्ट से यहां के मैंग्रूव्स, वेटलैंड, पलीकट लेक, एन्नोर क्रीक, कोसथलैय्यर नदी, बकिंघम कैनल, कई एंडेंजर्ड एनीमल,फिश और बर्ड स्पीशीज़ को नुकसान होगा। वॉटरबॉडीज़ को नुकसान होगा तो उससे मछली पालन पर भी असर पड़ेगा जिसपर लाखों लोगों की आजीविका निर्भर करती है।"

सॉईल इरोशन और बाढ़ का खतरा

बेनिशा आगे कहती हैं कि "यह पोर्ट इस पूरे एरिया को आने वाले समय में तबाह करने की क्षमता रखता है क्योंकि इससे तटों पर सॉईल इरोशन बढ़ जाएगा जिसकी वजह से पलायन बढ़ेगा और श्रीहरिकोटा जहां पर इसरो का स्पेस सेंटर है उसे भी नुकसान होगा, चेन्नई जैसे शहरों में बाढ़ आएगी और प्रोजेक्ट के लिए डीसैलिनेशन प्लांट को भी शिफ्ट करना होगा जिससे पीने के पानी का संकट भी पैदा होगा।"

इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन मैनेजमेंट, अन्ना यूनिवर्सिटी द्वारा की गई स्टडी के मुताबिक पोर्ट कंस्ट्रक्शन की वजह से पलिकट लेक के तटों पर 16 मीटर प्रति वर्ष इरोशन होने का खतरा है जो कि मौजूदा अपर्दन दर से दोगुना है।

अडनी पोर्ट्स कटाव को रोकने के लिए कुछ कटाव नियंत्रण उपायों का प्रस्ताव प्रोजेक्ट में करते हैं जिसमें दावा किया गया है कि तटों का कटाव 8 मीटर प्रति वर्ष तक कम हो जाएगा लेकिन अन्ना यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि इस तरह के उपाय कटाव को वन्यजीव अभयारण्य और लाइटहाउस कुप्पम, गुनानकुप्पम, अरंगनकुप्पम जैसे गांवों की सीमा के भीतर उत्तर की ओर बढ़ा देंगे।

वर्ष 2015 में चेन्नई में आई बाढ़ का मुख्य कारण यह था कि एन्नोर स्थित पानी निकासी की जगह पर एंक्रोचमेंट हो गया था। अगर पोर्ट का विस्तार हुआ तो इससे शहरों से बारिश का पानी बाहर नहीं निकल पाएगा और कई शहर बाढ़ ग्रस्त हो जाएंगे।

साथ ही पीने के पानी की समस्या और ज्यादा गंभीर हो जाएगी क्योंकि पोर्ट के बन जाने के बाद ग्राउंड वॉटर रीचार्च के लिए ज़म्मेदार वेटलैंड्स खत्म हो जाएंगे। प्रोजेक्ट के लिए मिंजूर डीसैलिनेशन लाईन को भी शिफ्ट करना होगा और इसकी समयसीमा अभी तक तय नहीं की गई है जो पानी की सप्लाई को बाधित होने के संकेत देती है।

तमाम पर्यावरणीय जोखिमों के बावजूद इस प्रोजेक्ट का पब्लिक हीयरिंग स्टेज तक पहुंचना भी पर्यावरणविदों को अचरज में डालता है, हालांकि चेन्नई क्लाईमेट एक्शन ग्रुप जैसे और भी कई संगठन हैं जो इस प्रोजेक्ट के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि जल्द उन्हें देश भर से लोगों का समर्थन प्राप्त होगा और सरकार झुकने को मजबूर होगी।

यह भी पढ़ें

Ground Report के साथ फेसबुकट्विटर और वॉट्सएप के माध्यम से जुड़ सकते हैं और अपनी राय हमें Greport2018@Gmail.Com पर मेल कर सकते हैं।

Tags :
Author Image

Pallav Jain

View all posts

Pallav Jain is co-founder of Ground Report and an independent journalist and visual storyteller based in Madhya Pradesh. He did his PG Diploma in Radio and TV journalism from IIMC 2015-16.

Advertisement
Donate us for good journalism
Advertisement
×

We use cookies to enhance your browsing experience, serve relevant ads or content, and analyze our traffic.By continuing to visit this website, you agree to our use of cookies.

tlbr_img1 Climate Glossary tlbr_img2 Video Reports tlbr_img3 Google News tlbr_img4 Donate Us