For the best experience, open
https://m.groundreport.in
on your mobile browser.
Advertisement

What is Halal Meat: हलाल मीट ही क्यों खाते हैं मुस्लिम?

11:30 PM Mar 30, 2023 IST | Ground report
what is halal meat  हलाल मीट ही क्यों खाते हैं मुस्लिम

What is Halal Meat: दुनियाभर में अलग-अलग जानवरों के मांस खाने का चलन है। इस धरती पर जब से मानव सभ्यता का जन्म हुआ है तब से जानवरों का मांस इंसानी जीवन के भरण-पोषण का अहम हिस्सा रहा है। (What is Halal Meat) आज भी दुनिया के बहुत से मुल्कों में मांस उनकी अर्थ व्यवस्था में अहम रोल अदा करता है। इसी मांस ने भारत में विवाद को जन्म दे दिया है। (What is Halal Meat)

पिछले कुछ वर्षों से भारत में मांस को लेकर बड़ा विवाद खड़ा किया जा रहा है। देशभर में हलाल मीट और में झटका मीट को लेचर ज़बरदस्त विवाद शुरू हो चुका है। कर्नाटक में इस विवाद ने राज्य का के माहौल को पूरी तरह से सांप्रदायिक बना दिया है। तमाम हिंदू संगठन लगातार आह्वान कर रहे हैं कि राज्य के हिंदू किसी मुस्लिम मीट विक्रेता से हलाल मीट न ख़रीदें।

Advertisement

अब इन सब विवादों के बीच तमाम तरह के सवालों ने जन्म लिया। एक सवाल जो बार-बार पूछा जा रहा है या विवाद का केंद्र बिंदू बना हुआ है। वो ये है कि मुसलमान हलाल मांस ही क्यों खाते हैं? हलाल और झटका मांस में क्या अंतर होता है? आइये आपको इनका जवाब बताते हैं।

जानवरों को कैसे काटते हैं मुसलमान मांस विक्रेता ?

मुसलमानों के एक मौलाना मक़सूद इमरान रश्दी इन दोनों तरह के मांसों के बीच का अंतर समझाते हैं। वे बताते हैं कि दुनियाभर के मुसलमान जानवर को इसलिए हलाल करते हैं कि ताकि जानवर की गर्दन के चारों ओर की नसें कट जाने पर जानवर का ख़ून बह जाए।

Advertisement

वो कहते हैं, ”पैगंबर मोहम्मद ने कहा है कि यदि मांस के भीतर ख़ून सूख जाए तो उससे कई बीमारियां हो सकती हैं। यदि एक बार मांस से सारा ख़ून बह जाए तो उसके खाने पर इंसान को बीमारी नहीं होती। इसे ‘ज़बीहा’ कहते हैं।”

मौलाना रश्दी के अनुसार, ”ज़बीहा करने के लिए जानवर को फ़र्श पर लिटाकर ‘बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अकबर’ पढ़ा जाता है और फिर उसका गला काट दिया जाता है। नस को इस तरह से काटा जाता है कि सिर और धड़ अलग न हो, ताकि शरीर का सारा ख़ून निकल जाए।”

Advertisement

झटका मांस और हलाल में क्या अंतर होता है ?

झटका विधि में जानवर की रीढ़ पर प्रहार किया जाता है, जिसमें उसकी तुरंत मौत हो जाती है। कहा यह भी जाता है कि झटका विधि में जानवर को काटने से पहले शॉक देकर उसके दिमाग को सुन्न किया जाता है, ताकि वो ज्यादा संघर्ष न करे। उसके अचेत होने पर झटके से धारदार हथियार से उसके सिर को धड़ से अलग कर दिया जाता है। मांसाहार करने वाले हिंदू और सिख समुदाय के लोग ‘झटका’ मीट खाते हैं।

कुछ इस्लाम के जानकार कहते हैं कि पैगंबर मोहम्मद ने झटका मांस को हराम क़रार दिया है। जो जानवर हलाल तरीके से नहीं काटा जाता। उसे मुसलमान नहीं खा सकता है। वे कहते हैं कि झटका मांस में एक ही वार से जानवर को मार दिया जाता है।

Advertisement

इस प्रोसेस से जानवर को दर्द का अनुभव तो कम होता है लेकिन रक्त को शव अर्थात मांस से बाहर अच्छे से नहीं निकला जाता है। जिसके कारण इसमें बैक्टीरिया का निर्माण अधिक होता है, इसलिए इससे मिलने वाला मांस अस्वस्थ मांस होता है।

यह भी पढ़ें

Advertisement

You can connect with Ground Report on FacebookTwitterInstagram, and Whatsapp and Subscribe to our YouTube channel. For suggestions and writeups mail us at GReport2018@gmail.com 

Tags :
Author Image

Ground Report

View all posts

Advertisement
Donate us for good journalism
Advertisement
×

We use cookies to enhance your browsing experience, serve relevant ads or content, and analyze our traffic.By continuing to visit this website, you agree to our use of cookies.

tlbr_img1 Climate Glossary tlbr_img2 Video Reports tlbr_img3 Google News tlbr_img4 Donate Us